Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Sep 2022 · 2 min read

आजादी के अलबम का प्रथम पृष्ठ

(1)
वे थे आजादी मांग रहे।
खुद को सूली पर टांग रहे।
वे भारत के दुख से पीड़ित थे।
पुरजन के दुख से दु:खित थे।
वे नहीं सिकंदर के ‘विस्तार’ से
लेश-मात्र भी झंकृत थे।
उनको अन्याय हिलाना था ।
हर अत्याचार झुकाना था।
उनको परिवर्तन लाना था।
उनको स्वराज्य ले आना था।
पर,उनका विद्रोह पुराना था।
फिर इसे दबाया जाना था।
उनकी जिद जंजीरें तोड़ेंगे।
और अंग्रेज़, हुकूमत छोड़ेंगे।
चिंगारी अब,कल ज्वाला बन,
फहराएँगे ध्वज मुक्त-गगन।
भारत भर में सशस्त्र क्रांति।
घर-घर से मिटेगी हर भ्रांति।
यह सोच देश पुत्रों का था।
आतुर हर देशभक्तों का था।
हर जगह विरोध अतिचारों का।
फूटा करता था गुब्बारों सा।
असंगठित ढंग का था विरोध।
इसलिए भंग होता था क्रोध।
हर कोने में क्रांति फैली थी।
थी स्वच्छ किन्तु,मटमैली थी।
एक वृहत् क्रांति की थी जरूरत।
व्यापक अशांति की थी जरूरत ।
कहीं कोई नहीं पुरोधा था।
खुद में खुद हर ही योद्धा था।
युद्ध स्वतन्त्रता का खुद था स्वतंत्र।
और बिखरा हुआ था यत्र-तत्र सर्वत्र।
खुद,अपनी पीठ थपथपाते थे।
आजादी के कुछ नारे गाते थे।
ऐसा न लड़ा जाता कोई संग्राम।
संगठन के बिना क्या? लड़े राम!
ऐसे संग्रामों का हुआ बुरा हश्र।
नायकत्व से हुआ रिक्त ‘रक्त’।
शासित का भाग्य बस शोषण था।
शोषण भी चरम ‘दुर्योधन’ था।
जनता को पता ही नहीं आजादी।
कैसी चिड़िया? थी वह आजादी।
उनतक जज्बा आजादी का।
उनको मतलब आजादी का।
क्यों चाहिए उनको आज़ादी।
कैसे मिल पाएगी हमें आजादी।
उनके अन्तर्मन को समझाना था।
समझें कि उन्हें उकसाना था।
पर, क्रांतिवीर के थे सोच अलग।
हम जागे हैं, जागेगा सारा जग।
पर, शिक्षा देने से ही मिलती है।
कोई शिला कभी न खुद हिलती है।
उनका मन उन्हें जगाना था।
पर्दा जो पड़ा था,सरकाना था।
कुछ हुआ न बस बलिदान हुआ।
कुछ क्रांतिवीर का प्राणदान हुआ।
कुंठित स्वातंत्र्य-संग्राम हुआ।
बेवजह ये प्रयास बदनाम हुआ।
——————————————————-

Language: Hindi
203 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

शब्द भी क्या चीज़ है, महके तो लगाव हो जाता है ओर बहके तो घाव
शब्द भी क्या चीज़ है, महके तो लगाव हो जाता है ओर बहके तो घाव
ललकार भारद्वाज
भारत का गणतंत्र
भारत का गणतंत्र
विजय कुमार अग्रवाल
सपना बुझाला जहान
सपना बुझाला जहान
आकाश महेशपुरी
बड़े पद का घमंड इतना ना करो,
बड़े पद का घमंड इतना ना करो,
Ajit Kumar "Karn"
रुलाई
रुलाई
Bodhisatva kastooriya
मेरी अनलिखी कविताएं
मेरी अनलिखी कविताएं
Arun Prasad
जिंदगी में आप जो शौक पालते है उसी प्रतिभा से आप जीवन में इतन
जिंदगी में आप जो शौक पालते है उसी प्रतिभा से आप जीवन में इतन
Rj Anand Prajapati
शब्दांजलि
शब्दांजलि
ओसमणी साहू 'ओश'
मै अकेला न था राह था साथ मे
मै अकेला न था राह था साथ मे
Vindhya Prakash Mishra
तज द्वेष
तज द्वेष
Neelam Sharma
दोहा ग़ज़ल. . .
दोहा ग़ज़ल. . .
sushil sarna
धरा दिवाकर चंद्रमा
धरा दिवाकर चंद्रमा
RAMESH SHARMA
संत
संत
Rambali Mishra
4489.*पूर्णिका*
4489.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ब्राह्मणवादी शगल के OBC - by Musafir Baitha
ब्राह्मणवादी शगल के OBC - by Musafir Baitha
Dr MusafiR BaithA
- तुम्हारे मेरे प्रेम की पंक्तियां -
- तुम्हारे मेरे प्रेम की पंक्तियां -
bharat gehlot
मोदी योगी राज में (दोहे)
मोदी योगी राज में (दोहे)
Ramji Tiwari
शराब का इतिहास
शराब का इतिहास
कवि आलम सिंह गुर्जर
कोशी मे लहर
कोशी मे लहर
श्रीहर्ष आचार्य
साजन की विदाई
साजन की विदाई
सोनू हंस
मत मन को कर तू उदास
मत मन को कर तू उदास
gurudeenverma198
मीठी वाणी
मीठी वाणी
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
तुमने मेरा कहा सुना ही नहीं
तुमने मेरा कहा सुना ही नहीं
Dr Archana Gupta
जो लिखा है वही , वो पढ़ लेगा ,
जो लिखा है वही , वो पढ़ लेगा ,
Dr fauzia Naseem shad
आओ एक गीत लिखते है।
आओ एक गीत लिखते है।
PRATIK JANGID
आत्मीयकरण-1 +रमेशराज
आत्मीयकरण-1 +रमेशराज
कवि रमेशराज
👌
👌
*प्रणय प्रभात*
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
नज़र से तीर मत मारो
नज़र से तीर मत मारो
DrLakshman Jha Parimal
जनता दरबार
जनता दरबार
Ghanshyam Poddar
Loading...