आजादी का अमृत महोत्सव यक्ष प्रश्न लिए खड़ा है
आजादी का अमृत महोत्सव यक्ष प्रश्न लिए खड़ा है
आजादी का जश्न मनाते हरगिज भूल न जाना
आजादी की भेंट चढ़ गए कितने दादा नाना
आजादी पाने में हमने कितना खून बहाया
कैंसे मिल पाई आजादी कैंसे शुभ दिन आया
कितनों ने गोली खाई कितनों ने सिर फुडबाया
कितने फांसी पर लटके कितनों को तोप से उड़बाया
कैंसे उन लाखों वीरों ने किया था सब कुछ स्वाहा
जश्न मनाते वक्त सोचना क्यों अंग्रेजों के गुलाम हुए
क्यों बंट गया देश हमारा कैंसे भारत पाकिस्तान हुए
हिंदू मुस्लिम ऊंच नीच समाज में क्यों मतभेद हुए
क्यों एक एक कर सारे अंग्रेजों के गुलाम हुए
अमृत महोत्सव आजादी का यक्ष प्रश्न लिए खड़ा है
आज ७५ बर्ष बाद देश प्रश्नों से उबर सका है?
प्रश्नों के हल में ही हमारी पहचान का राज छुपा है
धर्म जाति और अंचल से ऊपर, अपना प्यारा देश रखा है?
सुरेश कुमार चतुर्वेदी