कुछ कहूं ना कहूं तुम भी सोचा करो,
कुछ कहूं ना कहूं तुम भी सोचा करो,
सह सकूं दर्द उतना खरोचा करो।
व्याध को क्या पता तीर के पीर का,
दम निकल जाए तब पंख नोचा करो।।
कुछ कहूं ना कहूं तुम भी सोचा करो,
सह सकूं दर्द उतना खरोचा करो।
व्याध को क्या पता तीर के पीर का,
दम निकल जाए तब पंख नोचा करो।।