आकांक्षा : उड़ान आसमान की….!
“” अनुमान, लक्ष्य, साधना-संकल्प,
धारणा, लगन, संसाधन-विकल्प…
और एक आश एक विश्वास…!
पर्वत से ऊँची राह,
अपने मन से ही बातें होती..
अपने मन की है एक कल्पना,
और लगन की है अटूट सांस…!!
उषा बिखेरे जब-जब लाली तरुण…
अरुणिमा मादक-सा अदम्य उल्लास…!
नव-प्रभात की हर किरणों में…
है अतिथि आगमन की अनुपम एक आस…!!
चढ़े संकल्प-अवधारणा…
जब-जब नभ क्षेत्र में,
जीवन में बढ़ती है क्षुधा-प्यास…!
घेरे चारों ओर, मन-मंजू हृदय…
बढ़ता संकल्प-साहस, सुखद अहसास…!!
प्रफुल्लित-सा मन, फिर होता…
कर अतित की सूक्ष्म समीक्षा…!
जिन नयनों से सांझ बिदाई…
उन नयनों से ही…
प्रातः अवलोकन की अनुपम प्रतिक्षा…!!
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