” आओ मिलकर देश सजायें “
स्वच्छ्ता की कसमें खायें, आओ मिलकर देश सजायें,
गांव, शहर के मार्ग स्वच्छ हो, गली-गली हर घने वृक्ष हो,
वन, उपवन, कानन सब झूमें, नभ-जल-थल के प्राणी झूमें,
महाशक्ति का स्वप्न सजायें, आओ मिलकर देश सजायें,
नदिया, पोखर,ताल ,सरोवर, भरने आयें श्याम पयोधर,
झूमे खेती झूमें घर-घर, अन्न उगायें झोली भर-भर,
हर दिन इक त्योहार मनायें, आओ मिलकर देश सजायें,
मर्यादा, अनुशासन, संस्कृति, नारी का सम्मान हो नितप्रति,
जननी, गो और मातृभक्ति हो, पर सर्वोपरि राष्ट्रभक्ति हो,
राष्ट्रभाषा से प्रीत बढायें, आओ मिलकर देश सजायें,
सर्वधर्म समभाव सभ्यता, कभी ना टूटे तारतम्यता,
राजनीति या कूटनीति हो, न्याय मिले बस ना अनीति हो,
घर, समाज, जनपद सब गायें, आओ मिलकर देश सजायें।