जीवन से पहले या जीवन के बाद
आँखों में सुरमा, जब लगातीं हों तुम
बस, इतना सा करना...गौर से देखते रहना
सहकारी युग ,हिंदी साप्ताहिक का 15 वाँ वर्ष { 1973 - 74 }*
हे राम,,,,,,,,,सहारा तेरा है।
न्योता ठुकराने से पहले यदि थोड़ा ध्यान दिया होता।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
विष्णु प्रभाकर जी रहे,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
🙏 *गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
धन्य हैं वो बेटे जिसे माँ-बाप का भरपूर प्यार मिलता है । कुछ
मौन मंजिल मिली औ सफ़र मौन है ।
23/115.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
"ऊँची ऊँची परवाज़ - Flying High"
बाल कविता: बंदर मामा चले सिनेमा
A little hope can kill you.
बर्फ़ के भीतर, अंगार-सा दहक रहा हूँ आजकल-
मौन पर एक नजरिया / MUSAFIR BAITHA