आए गए महान
आए गए बुद्ध
फिर भी समाज की सही न सेहत, आबोहवा अशुद्ध
आए गए महावीर
फिर भी समाज तोड़क औ’ हिंसक ही बन रहे पीर
आए गए नानक
फिर भी उनके बताएं गए रास्ते पर चलने में हम हैं बालक
आए गए कबीर
फिर भी बंट रहा समाज, जात धर्म दुर्भाव हुआ अमीर
आए गए रैदास
फिर भी सत्य है दुख और हिंसा, बेगमपुरा की दूर है आस
आए गए पेरियार
फिर भी बदस्तूर संकीर्णता होती रही समृद्ध, ठहरे रहे वैज्ञानिक सोच विचार
आए गए फुले दंपती
फिर भी स्त्री हित शिक्षा की न गुणवत्ता वाली सन्तोषदायक गति
आए गए संत गाडगे
फिर भी अन्याय और अंधविश्वास न समाज से भागे
आए गए अंबेडकर
फिर भी बंदरबांट, अघाए नित सवर्ण, उनके सताए दलित हैं लूजर
आए गए गुजराती गांधी
फिर भी वहीं से चल रही देश में अंधी सांप्रदायिक आंधी
आए गए महान
फिर भी वही ढाक के तीन पात
हर सत्ता शक्ति शीर्ष पर बैठा बेईमान।