आंसुओं के समंदर
लोग यूँ कमज़ोर हमको कह गए
ज़ुल्म सारे हम खुशी से सह गए
मुँह चिढ़ाने में लगा था जब फ़रेब
लब मिरे ख़ामोश होकर रह गए
इक ज़रा इनकार हमसे क्या हुआ
नेकियों के ढेर सारे ढह गए
आस भी जन्नत की बाक़ी रह गई
सब ख़ज़ाने भी यहीं पर रह गए
एक हिचकी ग़म ही ऐसा दे गई
आंसुओं के फिर समंदर बह गए
फिर तड़पती रह गई ताबीर भी
ख़्वाब आंखों में अधूरे रह गए
ज़िंदगी पूरी हुई अरशद रसूल
आपके बस कारनामे रह गए