आँसुओं से ही अपने बनाऊँ ग़ज़ल
आँसुओं से ही अपने बनाऊँ ग़ज़ल
मैं तुम्हें बैठकर अब सुनाऊँ ग़ज़ल
पास आकर जरा पूछिये तो सही
कैसे दिल पे लिखी मैं दिखाऊँ ग़ज़ल
है तुम्हारी मुहब्बत मेरी शायरी
मैं तुम्हें आज कह कर बुलाऊँ ग़ज़ल
तुमको रुसवा न कर दे ज़माने में ये
इसलिये मैं जहां से छुपाऊँ ग़ज़ल
दिल को लगता है जैसे कि तुम पास हो
दिल कहे सँग तुम्हारे ही गाऊँ ग़ज़ल
छप गई है जो दिल पे सदा के लिये
तुम बताओ वो कैसे मिटाऊँ ग़ज़ल
‘अर्चना’ मैं सुबह शाम क्या हर समय
आरती की तरह गुनगुनाऊँ ग़ज़ल
30-12-2021
डॉ अर्चना गुप्ता