अहिल्या
तुमसे दूर रह कर कैसे जीते है
बाहर हंसते दिखते है
भीतर भीतर रोते है
बाते सबसे करते है
तुमको ढूंढा करते है
कोई पूछे मेरा हाल अगर
बस सांसे है ये कहते है
कब आओगे
बतला दो अब
कहीं शिलाखण्ड न
बन जाऊं
कितने वर्षों तक टिक जाऊं
स्पर्श तुम्हारा पा कर, फिर
अहिल्या सी जी जाऊं।