“अहंकार का सूरज”
“अहंकार का सूरज”
धूप चाहे कितनी भी तेज हो
शाम में उसे तो ढलना पड़ता है,
अहंकार का सूरज मत बनो
उसे भी एक दिन मरना पड़ता है।
“अहंकार का सूरज”
धूप चाहे कितनी भी तेज हो
शाम में उसे तो ढलना पड़ता है,
अहंकार का सूरज मत बनो
उसे भी एक दिन मरना पड़ता है।