अस्तु
मृत्यु का समाचार
मिलने के बाद
निवास पर
इक्कठे हुए लोगों की
रोने की आवाजें
कुछ ही देर मे बंद हो जाएंगी
अंतिम यात्रा के लिए
घर से निकलते ही
महिलाएं साफ-सफाई
और खाना मंगवाने के
इंतजाम मे लग जाएंगी
शव यात्रा शमशान पहुंचे ही
कुछ लोग चाय नाश्ते के लिए
निकल जाएंगे
इधर आपका मृत शरीर
चिता पर जल रहा होगा
उधर शव यात्रा मे शामिल लोग
विभिन्न विषयों
पर चर्चा शुरू करेगें
कोई फोन पर बतिया रहा होगा
सोशल मीडिया चैटिंग एप
दूर झुंड बनाकर बैठे
लोगों के मध्य धड़ल्ले से
चल रह होगा
उसी दिन रात के खाने के बाद
ज्यादातर लोग
ये कह के कि रूका नही जाता
निकल लेंगे
ये आपके प्रिय रिश्तेदार होंगे
जिनके लिए आपने जी-जान से
रिश्तेदारी निभाने मे
कोई कसर नही छोड़ी
बेटे, बेटी, बहू, जीवन साथी
के फोन पर कई काल आएंगी
आपके गुणगान मे
कसीदे काढ़े जाएंगे
शव यात्रा मे शामिल न हो सका
अफसोस जताया जाएगा
उधर आपके प्रतिष्ठान, कार्यालय मे
किसे बिठाया जाए
खोज शुरू होगी
त्रयोदशी संस्कार के बाद
आपके प्रियजन
जिन्हे खून पसीने से
सींच कर लायक बनाया
पैरों पे खड़ा किया
विरासत का बंटवारा कर
अपने काम पे निकल जायेंगे
महीने के अंत तक
सब कुछ सामान्य हो जाएगा
जैसे आप कभी रहे ही नही
अत्यंत प्रिय कुछ दिनो तक
याद कर बातें करेंगे
आश्चर्यजनक गति से
आपको भुला दिया जाएगा
प्रथम वर्ष पुण्य तिथि का
सबकी सहमति बनी तो
आयोजन हो जाएगा
पलक झपकते ही
दिन, महीने साल
बीतते चले जाएंगे
किसी को फुर्सत नही होगी
आपके बारे मे बात करे
बस पुरानी तस्वीर देख कर
बेहद करीबी आपको
याद कर लेगा
अपने लिए कभी नही सोंचा
घर परिवार रिश्तेदारो को
संतुष्ट करने मे जीवन लगा दिया
इस खुदगर्ज समयाभाव मे जीते
समाज के पास
कतई टाइम नही होगा
कि कोई आपको याद करे
अस्तु
जीवन के चौथे चरण मे
मोह के बंधन से मुक्त होकर
अपने शौक, इच्छाएं पूरी करें
जरूरतों का सामान इक्ट्ठा करें
तीर्थ देशाटन कर नये रोमांच
का आनन्द उठायें
ये वो पल होंगे
जिन्हे जिम्मेवारी के चलते
अभी तक आप पा न सके
इस तरह जीवन पूरा कर
हंसी खुशी मौत को
गले लगायें
जो यथार्थ है
शास्वत है
मौलिक
स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल
प्रकाशित