अस्तित्व की ओट?🧤☂️
हर ओर ढकोसला,
दिखावा,
ऊंची डींग,
आत्मश्लाघा,
आडम्बर-अम्बर,
अन्दर तक,
कोट के अन्दर खोट,
दीन-हीन का गला घोट,
अस्तित्व की ओट?
मौकापरस्त,
बर्ताव,
प्रदर्शित व्यस्त,
व्यवहार,
मीठे बोल के,
छल से चोट,
अस्तित्व की ओट?
स्वार्थ – समुंदर,
अर्थ* – प्रचुरतर,
हृदयगत,
अनर्थ – व्यर्थ का
विस्तृत अंबर,
अनुभूति से परे,
परायापन की सोच,
अस्तित्व की ओट?
प्रकृति,
प्राकृतिक पर,
हेयदृष्टि धर,
कृत्रिम नव,
पथ – निर्माण,
कृति* कर,
प्रथम रोग,
पुनः निवारण,
प्रयोग,
अस्तित्व की ओट?
मनचाहे सुख में,
धर अकृत्य कर*,
सुख का साधन,
बढ़ाए निरंतर,
खुद खाकर भी,
दूसरों को दे कचोट*,
अस्तित्व की ओट?
विकसित-परिवेश,
देकर नाम ,
काटे देश ,
शान ओ ‘ बखान,
आदर्श-आदर्श* को तोड,
नदी – जल अवरोध,
जलविद्युत् का ,
अभिनव-उद्योग ,
पुरजोर,
अस्तित्व की ओट?
पर्यावरण – आवरण,
अपरिहार्य दग्ध* कर,
अनिवार्य बांटकर ,
धरणी* – संसाधन,
रक्षणविमुख पतनोन्मुख,
वारि-वात-वनस्पति को दे झकझोर ,
अस्तित्व की ओट?
समस्त चेतन-अचेतन,
अंश को,
पीडित कर,
पत्थर-खण्ड को,
जड से जडकर,
जड को,
रत्न जताकर,
शीश-भुजयुगल,
ग्रीवा सजाकर,
धनवान वृथा*,
दम्भी मदहोश ,
अस्तित्व की ओट?
संकेत शब्द: –
1धन,2 निर्माण , *3 वेदना, *4दर्पण, 5 धरती,6 बेकार