असहमति से सहमति तक
असहमति से सहमति तक
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हम क्यों होते सहमत!
हमारे वर्ण अलग थे।
जीने के हमारे स्तर अलग थे।
हमारे सोच और सोच की प्रक्रिया अलग थे।
पसीने के हमारे गंध अलग थे।
प्रेम हम जीने के लिए करते थे ।
प्रेम आपका मनोरंजन करता था।
जंगलों को जंगल रखने में हमारी आस्था थी।
जंगल को अमंगल मानना तुम्हारे जीवन की
व्यवस्था थी।
हम क्यों होते सहमत!