#कुंडलिया//यहाँ संभव सब होता
मन में हो विश्वास जब , होते सारे काम।
शबरी देखे राह तो , आएँगे फिर राम।।
आएँगे फिर राम , यहाँ संभव सब होता।
पंकज हँसता रोज , देख कीचड़ कब रोता?
सुन प्रीतम की बात , उदासी सूनेपन में।
मिले तभी है जीत , हौंसला हो जब मन में।
#आर.एस.प्रीतम