“अवसाद”
“अवसाद”
तब रोती और चीखती है
इंसान की आत्मा
मगर पसरा रह जाता है
हर जगह मौन,
तब हिम्मत साथ नहीं देती
कि पूछ सके
अरे तुम हो कौन?
“अवसाद”
तब रोती और चीखती है
इंसान की आत्मा
मगर पसरा रह जाता है
हर जगह मौन,
तब हिम्मत साथ नहीं देती
कि पूछ सके
अरे तुम हो कौन?