तुम सा नही…!
डरे-डरे से रहते हो,
ह्रदय की न बात कहते हो।
प्रेमरस में बहकर भी,
इंद्रजीत से रहते हो।
फूलों की तरह,
भवरें को चाहते हो।
ये इश्क़ ए रिवाज़ तुम्हारा,
ज़िन्दगी भर की इबादतें है।
डरे-डरे से रहते हो,
ह्रदय की न बात कहते हो।
प्रेमरस में बहकर भी,
इंद्रजीत से रहते हो।
फूलों की तरह,
भवरें को चाहते हो।
ये इश्क़ ए रिवाज़ तुम्हारा,
ज़िन्दगी भर की इबादतें है।