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23 Mar 2020 · 1 min read

अलविदा साथी…

अलविदा साथी…
शर्मिंदा नहीं हम तुम्हे छोड़ कर इस जहां से जाने में
मानवता कि सेवा कर के जा रहे हैं हम तो बहाने से

यादों में रखना मुझको भूल न जाना दीवाने को
हम फिर फिर लौटेंगे जरूरत पड़ी गर वतन पे मिट जाने के
~ सिद्धार्थ
तेरी सांसों में घुल जाने की फ़क़त आरजू हैं दिल की
क्या करूं जो लोग कहते हैं तेरी सांसों से ही खतरा है
~ सिद्धार्थ
खतरे के निशान से भी हम उपर हैं
अब…
सर्दी – जुकाम से भी हमें खतरा है?
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
3 Likes · 230 Views
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