अर्थव्यवस्था और देश की हालात
वर्तमान में समसामयिक घटना-चक्र को समझने और समझाने के लिए :-
बढ़िया संपादकीय,,
फिलहाल देश में एक ऐसी भीड़ मौजूद है,
जो सुनने / सुनाने के लिए तैयार नहीं है.
₹500 रूपये लीटर तेल,
₹2000 का रसोई गैस सिलेंडर खरीदने को तैयार है,
जिन्हें ₹205 लाख करोड़ देश पर कर्ज,
कर्ज नजर नहीं आता,
ऐसी विचारधारा के लोग कहते है,
प्रत्युत्तर में :-
कर्ज किस देश पर नहीं है,
उन्हें “जीडीपी से ऊपर कर्ज की जानकारी नहीं है
उन्हें ₹ रुपए की हालात $ डॉलर
येन / रूबल /कैनेडियन डॉलर
चीन की करेंसी यूआन transferable है,
हमारे देश के रुपये को पूछता कौन है,.
उनके लिए कर्ज भी इसलिए ठीक है,
क्योंकि इस कर्ज से पूंजीवाद फलफूल रहा है,, उन्हें परिभाषित करके तथाकथित धर्म की अफीम खिलाई जा रही है,