अमीरी औऱ गरीबी
हजारों रंग के साये जहाँ बिखरे हुए थे।।
जहाँ रंगीनियों के फूल बस निखरे हुए थे। ।
वही देखा मुरझाये हुए कुछ फूल गरीबों के ,
जो अमीरे शहर के डर से वही ठिठुरे हुए थे।
✍️शाह आलम हिंदुस्तानी
हजारों रंग के साये जहाँ बिखरे हुए थे।।
जहाँ रंगीनियों के फूल बस निखरे हुए थे। ।
वही देखा मुरझाये हुए कुछ फूल गरीबों के ,
जो अमीरे शहर के डर से वही ठिठुरे हुए थे।
✍️शाह आलम हिंदुस्तानी