Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Mar 2024 · 1 min read

उफ ये सादगी तुम्हारी।

बार-बार तुझको पढनें की आदत सी हो रही है ।
उफ ये सादगी तुम्हारी तो कयामत सी हो रही है।।1।।

फिर आया हवा का झोंका तेरी खुशबू लेकर।
शायद हमारें घर पर उनकी आमद सी हो रही है।।2।।

अभी तो महफिलें शाम थी कितनी बेगानाी सी ।
आने से तेरे सबको सबसे निस्बत सी हो रही है ।।3।।

खिजा़ ही खिजा़ थी हर सम्त कबसे बहार में।
जर्रे-जर्रे को अब तो तुमसे चाहत सी हो रही है ।।4।।

मुझे आरजू नही है रक्से कमर फ़िरदौस की।
तुझको पाकर जिन्दगी मेरी जन्नत सी हो रही है।।5।।

हुस्न इश्क़ का रिश्ता होता है शोला शबनम का ।
आफताब और मेहताब से ये जु्र्रत सी हो रही है।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

62 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वोट डालने जाएंगे
वोट डालने जाएंगे
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
*सिर्फ तीन व्यभिचारियों का बस एक वैचारिक जुआ था।
*सिर्फ तीन व्यभिचारियों का बस एक वैचारिक जुआ था।
Sanjay ' शून्य'
नींद आज नाराज हो गई,
नींद आज नाराज हो गई,
Vindhya Prakash Mishra
प्यार
प्यार
Anil chobisa
लिबास दर लिबास बदलता इंसान
लिबास दर लिबास बदलता इंसान
Harminder Kaur
पहला प्यार
पहला प्यार
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
बेटियाँ
बेटियाँ
Surinder blackpen
बुध्द गीत
बुध्द गीत
Buddha Prakash
आदमी इस दौर का हो गया अंधा …
आदमी इस दौर का हो गया अंधा …
shabina. Naaz
■ आज की बात...
■ आज की बात...
*Author प्रणय प्रभात*
*कैसे हार मान लूं
*कैसे हार मान लूं
Suryakant Dwivedi
सुबह-सुबह की लालिमा
सुबह-सुबह की लालिमा
Neeraj Agarwal
कुदरत मुझको रंग दे
कुदरत मुझको रंग दे
Gurdeep Saggu
--> पुण्य भूमि भारत <--
--> पुण्य भूमि भारत <--
Ms.Ankit Halke jha
कुछ लिखूँ ....!!!
कुछ लिखूँ ....!!!
Kanchan Khanna
फन कुचलने का हुनर भी सीखिए जनाब...!
फन कुचलने का हुनर भी सीखिए जनाब...!
Ranjeet kumar patre
पंखा
पंखा
देवराज यादव
Lines of day
Lines of day
Sampada
"जलेबी"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रणय
प्रणय
Neelam Sharma
🌷 सावन तभी सुहावन लागे 🌷
🌷 सावन तभी सुहावन लागे 🌷
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
क्यूं हो शामिल ,प्यासों मैं हम भी //
क्यूं हो शामिल ,प्यासों मैं हम भी //
गुप्तरत्न
धूप की उम्मीद कुछ कम सी है,
धूप की उम्मीद कुछ कम सी है,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
विडंबना
विडंबना
Shyam Sundar Subramanian
हर एक अनुभव की तर्ज पर कोई उतरे तो....
हर एक अनुभव की तर्ज पर कोई उतरे तो....
कवि दीपक बवेजा
व्याकुल तू प्रिये
व्याकुल तू प्रिये
Dr.Pratibha Prakash
2772. *पूर्णिका*
2772. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जोशीला
जोशीला
RAKESH RAKESH
मौत पर लिखे अशआर
मौत पर लिखे अशआर
Dr fauzia Naseem shad
Loading...