Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Mar 2019 · 1 min read

अभिनंदन

धरा की गोद मे बसा कैसे
वीरो की गाथा का डगर है
शौर्य वीर के सीने में अभी
भी आंतकियो से निडर है ।

वो दुष्ट, वीर की आंखों से नजर
मिलाकर भी कैसे बात उगाले ,
भारत माता की कसम अपनी
रणनीति भी नही सामने उछाले ।

भले मार खाकर भी अपना शीश
दुष्टों के सामने न कभी झुकाया
उस भारती माँ के खातिर माठी
का लाल रुग्ण का चन्दन लगाया।

धीरे धीरे बयार आकर सामने
कान में धीरज रखने की बोली ,
घबराना मत ,माँ के वीर सपूत
समझ बंधी है माँ की यह रोली ।

वायु सेना की बनी यह शान
पुकारे तुझे ही पूरा हिंदुस्तान ,
मस्तक पर सजा रहा चन्दन
लगते हो वीर केसरीनंदन
जल्दी लौट आया अभिनंदन ।

✍प्रवीण शर्मा ताल
स्वर रचित मौलिक रचना
मो.9165996865

Language: Hindi
440 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ती सध्या काय करते
ती सध्या काय करते
Mandar Gangal
रहने भी दो यह हमसे मोहब्बत
रहने भी दो यह हमसे मोहब्बत
gurudeenverma198
There is nothing wrong with slowness. All around you in natu
There is nothing wrong with slowness. All around you in natu
पूर्वार्थ
जिंदगी
जिंदगी
Sangeeta Beniwal
#लघुकथा
#लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
* मुस्कुराते हुए *
* मुस्कुराते हुए *
surenderpal vaidya
गरीब हैं लापरवाह नहीं
गरीब हैं लापरवाह नहीं
Dr. Pradeep Kumar Sharma
धार्मिकता और सांप्रदायिकता / MUSAFIR BAITHA
धार्मिकता और सांप्रदायिकता / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
*दिल कहता है*
*दिल कहता है*
Kavita Chouhan
22, *इन्सान बदल रहा*
22, *इन्सान बदल रहा*
Dr Shweta sood
धैर्य धरोगे मित्र यदि, सब कुछ होता जाय
धैर्य धरोगे मित्र यदि, सब कुछ होता जाय
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
अब और ढूंढने की ज़रूरत नहीं मुझे
अब और ढूंढने की ज़रूरत नहीं मुझे
Aadarsh Dubey
रामनवमी
रामनवमी
Ram Krishan Rastogi
कई रात को भोर किया है
कई रात को भोर किया है
कवि दीपक बवेजा
उसने मुझे बिहारी ऐसे कहा,
उसने मुझे बिहारी ऐसे कहा,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
रंग में डूबने से भी नहीं चढ़ा रंग,
रंग में डूबने से भी नहीं चढ़ा रंग,
Buddha Prakash
23/85.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/85.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कान का कच्चा
कान का कच्चा
Dr. Kishan tandon kranti
सांवली हो इसलिए सुंदर हो
सांवली हो इसलिए सुंदर हो
Aman Kumar Holy
कुछ दिन से हम दोनों मे क्यों? रहती अनबन जैसी है।
कुछ दिन से हम दोनों मे क्यों? रहती अनबन जैसी है।
अभिनव अदम्य
*चाटुकार*
*चाटुकार*
Dushyant Kumar
एक ख़्वाब की सी रही
एक ख़्वाब की सी रही
Dr fauzia Naseem shad
इकिगाई प्रेम है ।❤️
इकिगाई प्रेम है ।❤️
Rohit yadav
चार दिन की जिंदगी मे किस कतरा के चलु
चार दिन की जिंदगी मे किस कतरा के चलु
Sampada
जीवन
जीवन
sushil sarna
कजरी (वर्षा-गीत)
कजरी (वर्षा-गीत)
Shekhar Chandra Mitra
*युद्ध का आधार होता है 【मुक्तक】*
*युद्ध का आधार होता है 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
इश्क़ के समंदर में
इश्क़ के समंदर में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
खद्योत हैं
खद्योत हैं
Sanjay ' शून्य'
सबसे ज्यादा विश्वासघात
सबसे ज्यादा विश्वासघात
ruby kumari
Loading...