Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Dec 2023 · 1 min read

* मुस्कुराते हुए *

** गीतिका **
~~
सामने आ गये मुस्कुराते हुए।
जल उठे हैं ह्रदय में अनेकों दिए।

अब हमें यह पता चल गया क्या कहें।
हम निशा में भटकते हुए क्यों जिए।

आ गई ज्यों दिवाली हमें यूं लगा।
जिन्दगी पर्व है आस नूतन लिए।

टिमटिमाते रहे आसमां पर बहुत।
कुछ सितारे मगर टूटकर खो गए।

वक्त बीता सभी याद रखना हमें।
चाहिए आज साथी पुराने नए।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी, हिमाचल प्रदेश

1 Like · 3 Comments · 85 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from surenderpal vaidya
View all
You may also like:
खुद के वजूद की
खुद के वजूद की
Dr fauzia Naseem shad
धरती माँ ने भेज दी
धरती माँ ने भेज दी
Dr Manju Saini
- अपनो का दर्द सहते सहनशील हो गए हम -
- अपनो का दर्द सहते सहनशील हो गए हम -
bharat gehlot
गहरी हो बुनियादी जिसकी
गहरी हो बुनियादी जिसकी
कवि दीपक बवेजा
चाँद तारे गवाह है मेरे
चाँद तारे गवाह है मेरे
shabina. Naaz
ना मुमकिन
ना मुमकिन
DR ARUN KUMAR SHASTRI
गारंटी सिर्फ़ प्राकृतिक और संवैधानिक
गारंटी सिर्फ़ प्राकृतिक और संवैधानिक
Mahender Singh
आरक्षण बनाम आरक्षण / MUSAFIR BAITHA
आरक्षण बनाम आरक्षण / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
2236.
2236.
Dr.Khedu Bharti
🙏*गुरु चरणों की धूल*🙏
🙏*गुरु चरणों की धूल*🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कहानी
कहानी
कवि रमेशराज
गले लगा लेना
गले लगा लेना
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
"मैं एक पिता हूँ"
Pushpraj Anant
सारे यशस्वी, तपस्वी,
सारे यशस्वी, तपस्वी,
*Author प्रणय प्रभात*
सत्य को अपना बना लो,
सत्य को अपना बना लो,
Buddha Prakash
हुस्न वालों से ना पूछो गुरूर कितना है ।
हुस्न वालों से ना पूछो गुरूर कितना है ।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
ऐसे हैं हमारे राम
ऐसे हैं हमारे राम
Shekhar Chandra Mitra
अन्तर्मन की विषम वेदना
अन्तर्मन की विषम वेदना
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
" माँ का आँचल "
DESH RAJ
तुम न आये मगर..
तुम न आये मगर..
लक्ष्मी सिंह
अनेकता में एकता 🇮🇳🇮🇳
अनेकता में एकता 🇮🇳🇮🇳
Madhuri Markandy
"जुदा"
Dr. Kishan tandon kranti
किस क़दर गहरा रिश्ता रहा
किस क़दर गहरा रिश्ता रहा
हिमांशु Kulshrestha
फूलों की बात हमारे,
फूलों की बात हमारे,
Neeraj Agarwal
सच्ची मेहनत कभी भी, बेकार नहीं जाती है
सच्ची मेहनत कभी भी, बेकार नहीं जाती है
gurudeenverma198
व्यथित ह्रदय
व्यथित ह्रदय
कवि अनिल कुमार पँचोली
तपिश धूप की तो महज पल भर की मुश्किल है साहब
तपिश धूप की तो महज पल भर की मुश्किल है साहब
Yogini kajol Pathak
तुम न समझ पाओगे .....
तुम न समझ पाओगे .....
sushil sarna
शोषण
शोषण
साहिल
कृष्ण जन्म / (नवगीत)
कृष्ण जन्म / (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Loading...