Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Apr 2020 · 1 min read

अब भी टाइम बचा बहुत है

मानवता को मानो भाई
मजहब में तो खचा बहुत है।

सारी दुनिया मे अब देखो
कोरोना का गचा बहुत है।।

घृणा-द्वेष वश था गुर्राता
देखो दुश्मन नचा बहुत है।

किया मूर्खता लापरवाही
दर्द से पीड़ित चचा बहुत है।।

शोषण किया प्रकृति का भारी
तभी तांडव मचा बहुत है।

जनसंख्या भी बढ़ गई इतनी
डग-डग में जन ठचा बहुत है।।

जिसने स्वार्थ में लूटा पीटा
आखिर खाया दचा बहुत है।

मानव को मानव न माना
मुझे जानवर जँचा बहुत है।।

चेहरा बना रखा है भोला
मन में शाजिस रचा बहुत है।

देर करो मत ‘कौशल’ सुधरो
अब भी टाइम बचा बहुत है।।

©कौशलेंद्र सिंह लोधी ‘कौशल’

1 Like · 342 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बचे जो अरमां तुम्हारे दिल में
बचे जो अरमां तुम्हारे दिल में
Ram Krishan Rastogi
संवेदना (वृद्धावस्था)
संवेदना (वृद्धावस्था)
नवीन जोशी 'नवल'
तू है एक कविता जैसी
तू है एक कविता जैसी
Amit Pathak
তোমার চরণে ঠাঁই দাও আমায় আলতা করে
তোমার চরণে ঠাঁই দাও আমায় আলতা করে
Arghyadeep Chakraborty
ज़िंदगी तो ज़िंदगी
ज़िंदगी तो ज़िंदगी
Dr fauzia Naseem shad
आँखों का कोना एक बूँद से ढँका देखा  है मैंने
आँखों का कोना एक बूँद से ढँका देखा है मैंने
शिव प्रताप लोधी
प्रभु राम मेरे सपने मे आये संग मे सीता माँ को लाये
प्रभु राम मेरे सपने मे आये संग मे सीता माँ को लाये
Satyaveer vaishnav
संसार में
संसार में
Brijpal Singh
स्वास विहीन हो जाऊं
स्वास विहीन हो जाऊं
Ravi Ghayal
3049.*पूर्णिका*
3049.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बड़बोले बढ़-बढ़ कहें, झूठी-सच्ची बात।
बड़बोले बढ़-बढ़ कहें, झूठी-सच्ची बात।
डॉ.सीमा अग्रवाल
हम उस महफिल में भी खामोश बैठते हैं,
हम उस महफिल में भी खामोश बैठते हैं,
शेखर सिंह
कुछ उत्तम विचार.............
कुछ उत्तम विचार.............
विमला महरिया मौज
*मुख्य अतिथि (हास्य व्यंग्य)*
*मुख्य अतिथि (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
दुआ को असर चाहिए।
दुआ को असर चाहिए।
Taj Mohammad
*आत्मा की वास्तविक स्थिति*
*आत्मा की वास्तविक स्थिति*
Shashi kala vyas
(14) जान बेवजह निकली / जान बेवफा निकली
(14) जान बेवजह निकली / जान बेवफा निकली
Kishore Nigam
It's not always about the sweet kisses or romantic gestures.
It's not always about the sweet kisses or romantic gestures.
पूर्वार्थ
क्षणिका
क्षणिका
sushil sarna
जीवन में सबसे मूल्यवान अगर मेरे लिए कुछ है तो वह है मेरा आत्
जीवन में सबसे मूल्यवान अगर मेरे लिए कुछ है तो वह है मेरा आत्
Dr Tabassum Jahan
नफरत थी तुम्हें हमसे
नफरत थी तुम्हें हमसे
Swami Ganganiya
रात का आलम था और ख़ामोशियों की गूंज थी
रात का आलम था और ख़ामोशियों की गूंज थी
N.ksahu0007@writer
■ मन गई राखी, लग गया चूना...😢
■ मन गई राखी, लग गया चूना...😢
*Author प्रणय प्रभात*
यहाँ तो मात -पिता
यहाँ तो मात -पिता
DrLakshman Jha Parimal
विडंबना
विडंबना
Shyam Sundar Subramanian
की हरी नाम में सब कुछ समाया ,ओ बंदे तो बाहर क्या देखने गया,
की हरी नाम में सब कुछ समाया ,ओ बंदे तो बाहर क्या देखने गया,
Vandna thakur
वीरगति
वीरगति
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
"मुद्रा"
Dr. Kishan tandon kranti
" अलबेले से गाँव है "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
वक्त की जेबों को टटोलकर,
वक्त की जेबों को टटोलकर,
अनिल कुमार
Loading...