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12 Sep 2023 · 1 min read

रात का आलम था और ख़ामोशियों की गूंज थी

रात का आलम था और ख़ामोशियों की गूंज थी
मेरे लिए वो मोहब्बत मानो जैसे प्रकाश पुंज थी

©® प्रेमयाद कुमार नवीन

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