“अपेक्षा”
“अपेक्षा”
वो अपेक्षाएँ ही है जो
स्वार्थ की रस्सी से
सबको बांधे रखती है,
इसकी अनुपस्थिति में
ये दुनिया
किसी को कहाँ पूछती है?
“अपेक्षा”
वो अपेक्षाएँ ही है जो
स्वार्थ की रस्सी से
सबको बांधे रखती है,
इसकी अनुपस्थिति में
ये दुनिया
किसी को कहाँ पूछती है?