अपवाद
आँकड़े बेहिचक बोलते हैं
मन मस्तिष्क को
बहुत झकझोरते हैं।
बहुत अधिक प्रताड़ित हैं
दुनिया भर में नारियाँ
कहीं दहेज की कुप्रथा है
कहीं तेजाबी हमले,
बलात् संग की बात भी
अब नहीं कोई जुमले।
इसके बावजूद भी
जेण्डर बदलवाने का ट्रेण्ड
दिनो-दिन बढ़ता जा रहा,
आज पुरुष ही ज्यादातर
जेण्डर परिवर्तित करा रहा।
आखिर क्यों?
आँकड़े तो निर्विवाद है,
क्या यह मसला भी
इक्कीसवीं सदी का
कोई जबरदस्त अपवाद है।
“आधी दुनिया” के बाद नारी शक्ति पर आधारित
द्वितीय कृति एवं प्रकाशित 19 वीं कृति :
बराबरी का सफर ( काव्य-संग्रह ) से,,,,,
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति