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19 Jan 2021 · 1 min read

अपने ख्वाबों को खुद जाकर

अपने ख्वाबो को खुद जाकर के मैं सजाऊंगा
जिंदगी मिली है तो इसको जन्नत मैं बनाऊंगा
तिरंगा क्या हाथ में लेना जब दिल में हिन्दुतां है
नामुमकिन को मुमकिन कर के भी दिखाऊंगा

अशोक सपड़ा की कलम से दिल्ली से

Language: Hindi
391 Views
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