Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 May 2024 · 1 min read

बताती जा रही आंखें

गीतिका
~~
कहो गंभीरता से अब नहीं पड़ना ठिठोली में।
बताती जा रही आंखें सभी बातें अबोली में।

समय मुश्किल कभी जब सामने आता हमारे है।
रखो आंखे खुली पड़ना नहीं है व्यर्थ बोली में।

दुआएं साथ हो तो खूब कहलाती चमत्कारी।
असर होता बहुत है तब दवा की एक गोली में।

सभी का जीत लेता मन तराना खूब कोयल का।
मधुर रस के निरंतर गूंजते स्वर नित्य बोली में।

सभी जन हर्ष से झूमे मिटी जब प्यास धरती की।
बरसते सावनी घन हर खुशी है आज झोली में।

विजय होती सुनिश्चित जब सभी का साथ मिल जाए।
इरादे हों बहुत दमदार सूरत खूब भोली में।

मधुर हैं रागिनी के स्वर सुनाई दे रहे सबको।
बहुत आनन्द मिलता है सभी को मस्त टोली में।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

1 Like · 24 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from surenderpal vaidya
View all
You may also like:
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
खोने के लिए कुछ ख़ास नहीं
The_dk_poetry
2321.पूर्णिका
2321.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
रात अज़ब जो स्वप्न था देखा।।
रात अज़ब जो स्वप्न था देखा।।
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
सरल जीवन
सरल जीवन
Brijesh Kumar
"कभी-कभी"
Dr. Kishan tandon kranti
मुस्तक़िल बेमिसाल हुआ करती हैं।
मुस्तक़िल बेमिसाल हुआ करती हैं।
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
ଆତ୍ମ ଦର୍ଶନ
ଆତ୍ମ ଦର୍ଶନ
Bidyadhar Mantry
लेती है मेरा इम्तिहान ,कैसे देखिए
लेती है मेरा इम्तिहान ,कैसे देखिए
Shweta Soni
पार्थगाथा
पार्थगाथा
Vivek saswat Shukla
सुख - डगर
सुख - डगर
Sandeep Pande
घर छोड़ गये तुम
घर छोड़ गये तुम
Rekha Drolia
कह दिया आपने साथ रहना हमें।
कह दिया आपने साथ रहना हमें।
surenderpal vaidya
मन
मन
Ajay Mishra
बाहरी वस्तु व्यक्ति को,
बाहरी वस्तु व्यक्ति को,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
"लोकगीत" (छाई देसवा पे महंगाई ऐसी समया आई राम)
Slok maurya "umang"
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
जितनी तेजी से चढ़ते हैं
जितनी तेजी से चढ़ते हैं
Dheerja Sharma
*मनुज ले राम का शुभ नाम, भवसागर से तरते हैं (मुक्तक)*
*मनुज ले राम का शुभ नाम, भवसागर से तरते हैं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
■ कितना वदल गया परिवेश।।😢😢
■ कितना वदल गया परिवेश।।😢😢
*प्रणय प्रभात*
पुरानी ज़ंजीर
पुरानी ज़ंजीर
Shekhar Chandra Mitra
फेसबुक ग्रूपों से कुछ मन उचट गया है परिमल
फेसबुक ग्रूपों से कुछ मन उचट गया है परिमल
DrLakshman Jha Parimal
" परदेशी पिया "
Pushpraj Anant
चुप्पी और गुस्से का वर्णभेद / मुसाफ़िर बैठा
चुप्पी और गुस्से का वर्णभेद / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
सोदा जब गुरू करते है तब बडे विध्वंस होते है
सोदा जब गुरू करते है तब बडे विध्वंस होते है
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
**बकरा बन पल मे मै हलाल हो गया**
**बकरा बन पल मे मै हलाल हो गया**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
क्या कर लेगा कोई तुम्हारा....
क्या कर लेगा कोई तुम्हारा....
Suryakant Dwivedi
क्या कहेंगे लोग
क्या कहेंगे लोग
Surinder blackpen
भारत के बच्चे
भारत के बच्चे
Rajesh Tiwari
ना जाने
ना जाने
SHAMA PARVEEN
Loading...