अपनी यादों को देखा गिरफ्तार मकड़ी के जाले में
अपनी यादों को देखा गिरफ्तार मकड़ी के जाले में
लगता है कल रात
सर्दी कुछ ज्यादा थी
नींद ना जाने कहाँ ग़ुम थी
क़तरा क़तरा वक़्त
चुपचाप गुज़र गया
बूँद बूँद यादें टपकती रहीं
अपनी ही यादों को देखा
आज भोर के उजाले में
ओस की बूंदों की मानिंद
गिरफ्तार
उस मकड़ी के जाले में