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9 Feb 2024 · 1 min read

अपनी यादों को देखा गिरफ्तार मकड़ी के जाले में

अपनी यादों को देखा गिरफ्तार मकड़ी के जाले में

लगता है कल रात
सर्दी कुछ ज्यादा थी
नींद ना जाने कहाँ ग़ुम थी

क़तरा क़तरा वक़्त
चुपचाप गुज़र गया
बूँद बूँद यादें टपकती रहीं
अपनी ही यादों को देखा
आज भोर के उजाले में

ओस की बूंदों की मानिंद
गिरफ्तार
उस मकड़ी के जाले में

Language: Hindi
76 Views
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