अनोखा-अनजाना
पानी और प्यास के बीच
जो रिश्ता एक अनोखा है
वह रिश्ता तेरा मेरा है
तुम एक पल हो
मैं तुम्हारा क्षण
तुम बहता जल हो
मैं तुम्हारा कण
तुममें बसते हैं लाखों
पर मुझमें तुम अकेले गण
तुम मेरी आँखों का पानी हो
मैं प्यास तेरे जीवन की
तुम हर पल बहते रहते हो
मेरी आँखों का मोती बन
मैं हर पल बढ़ती रहती
तेरे रोम-रोम की इच्छा बन
तेरे मेरे बीच जो रिश्ता है
हर दिन अनोखा
हर दिन अनजाना है।
ना अब तक मैं इसे समझी हूँ!
ना ही तुमने इसे जाना है!!