–अनजान रिश्ता -अँधा प्रेम —
न जाने क्यूं लोग आँखे होने
पर भी अंधे हो जाते हैं
अनजान लोगों से अंधे प्रेम
में खुद ब खुद पड़ जाते हैं !!
जन्म देते हैं अपराध की
हवस भरी दुनिया को
अपने खून के रिश्ते को
तार तार कर जाते हैं !!
कर लेते हैं विश्वाश दूजे पर
घर में विश्वाश्घात कर जाते हैं
दफन कर देते हैं सब कुछ
अंधे प्रेम के जाल में फस जाते हैं !!
अंत बड़ा ही बुरा होता है इन सब का
क्यूं ख़बरें पढ़ अनजान बन जाते हैं
लग जाते हैं हाथ पूलिस के जब ये तब जीते
जागते समझते-बुझते अपराधी बन जाते हैं !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ