अधूरी दास्तान
प्रेम प्रसंग का परिणाम देखो, सफल वही प्रेम जिसमें सम्मान रहे।
नित्य समर्पण की मांग करतीं, समस्त मर्यादाओं का भी भान रहे।
किसी के लिए ईश्वर की आस्था, किसी के लिए खेल व नादानी है।
सुनो! इस प्रेम को पूजने वालों, मैंने एक अधूरी दास्तान सुनानी है।
वन में राजा दशरथ के बाण से, भूलवश मारा गया था श्रवण बेटा।
पुत्र विरह में राजा दशरथ भी, क्रंदन करते हुए मृत्यु शैय्या पे लेटा।
प्राणी गलतियों का पुतला है या गलतियों का एक पुतला प्राणी है।
सुनो! इस प्रेम को पूजने वालों, मैंने एक अधूरी दास्तान सुनानी है।
धृतराष्ट्र की नेत्र हीनता के लिए, गांधारी ने भी वही हाल किया था।
द्रौपदी ने मां कुंती के आदेशों पे, स्वयं पांचाली का रूप लिया था।
एक प्रेम के रूप में हर्ष पा जाए, दूजे की आँखों से बहता पानी है।
सुनो! इस प्रेम को पूजने वालों, मैंने एक अधूरी दास्तान सुनानी है।
जब श्रीराम बनवास गए, तो लखन-भरत का प्रेम अधूरा रह गया।
उर्मिला की चिरकाल निद्रा, माण्डवी का त्याग सत्य पूरा कह गया।
जिन्होंने ये सच्चाई नहीं सुनी, उनकी पीढ़ी तो सच में अनजानी है।
सुनो! इस प्रेम को पूजने वालों, मैंने एक अधूरी दास्तान सुनानी है।
सीता हरण से रघुवर हुए दुखी, राम विरह में सीता भी दुःख भोगे।
सिया के मोह में रावण फंसा, कैसे मंदोदरी भटके रावण को रोके?
कभी हालातों का अनन्त साथ है, तो कभी नियति की मनमानी है।
सुनो! इस प्रेम को पूजने वालों, मैंने एक अधूरी दास्तान सुनानी है।
कृष्ण के प्रेम में भक्तिन मीरा, समाज के सारे दोषों से लड़ गई थी।
कौरव सभा में द्रौपदी बनकर, कृष्ण के भक्ति पथ पर पड़ गई थी।
जो मीरा और द्रौपदी में मिलें, वो दंत-कथाएं तो जानी-पहचानी हैं।
सुनो! इस प्रेम को पूजने वालों, मैंने एक अधूरी दास्तान सुनानी है।
भले प्रेम के रूप व स्वरूप अनेक, किंतु छिपे भाव सब एक ही हैं।
राम और श्याम हैं बस नाम अलग, प्रेम में सभी स्वभाव एक ही हैं।
प्रीत भी ईश्वर की इच्छा से चले, वही तो शृंगार के रस का दानी है।
सुनो! इस प्रेम को पूजने वालों, मैंने एक अधूरी दास्तान सुनानी है।