Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Apr 2024 · 1 min read

*लोकतंत्र जिंदाबाद*

रामलीला मैदान में मंच विशाल बना है
साज -सज्जा भी मन -भावन बना है
आज यहां राजनीति का तना -बना है
बांस- बल्ले के साथ लगा शामियाना है

लोकतंत्र का महापर्व फिर आया है
आज यहां बहुत ही चहल+ पहल है
भारी भीड़ हर प्रवेश द्वारों से आ रही है
नेता जी के आने के पहले भीड़ आ रही है

नेता जी अपने दल के उम्मीदवार का
परिचय भीड़ से बारंबार करा रहे हैं
उनके पक्ष में बटन दबाने को कह रहे हैं
आपका कल्याण करेंगे, कह रहे हैं

यह युवक आपके गांव का है
आपके अपने जिले का समाजसेवी है
आपके चुनावी क्षेत्र का सामाजिक है
भारत के भविष्य का निर्माता है।

आप सब जानते है, इसे पहचानते हैं
सच कहता हूं, झूठ नहीं कहता हूं
आप भारत के सुयोग्य नागरिक हैं
आप से ही लोकतंत्र अबतक जिंदा है।
***********************************
स्वरचित और मौलिक
@घनश्याम पोद्दार
मुंगेर

41 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*झूठा  बिकता यूँ अख़बार है*
*झूठा बिकता यूँ अख़बार है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जब सांझ ढले तुम आती हो
जब सांझ ढले तुम आती हो
Dilip Kumar
संवेदना प्रकृति का आधार
संवेदना प्रकृति का आधार
Ritu Asooja
बुंदेली दोहा -तर
बुंदेली दोहा -तर
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कैनवास
कैनवास
Mamta Rani
"सहेज सको तो"
Dr. Kishan tandon kranti
दस्तक बनकर आ जाओ
दस्तक बनकर आ जाओ
Satish Srijan
शहनाई की सिसकियां
शहनाई की सिसकियां
Shekhar Chandra Mitra
जीवन में कोई भी युद्ध अकेले होकर नहीं लड़ा जा सकता। भगवान राम
जीवन में कोई भी युद्ध अकेले होकर नहीं लड़ा जा सकता। भगवान राम
Dr Tabassum Jahan
बहुत कुछ जल रहा है अंदर मेरे
बहुत कुछ जल रहा है अंदर मेरे
डॉ. दीपक मेवाती
रक्षाबंधन का त्योहार
रक्षाबंधन का त्योहार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
अभी भी शुक्रिया साँसों का, चलता सिलसिला मालिक (मुक्तक)
अभी भी शुक्रिया साँसों का, चलता सिलसिला मालिक (मुक्तक)
Ravi Prakash
पिया - मिलन
पिया - मिलन
Kanchan Khanna
दादी की वह बोरसी
दादी की वह बोरसी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
कोरोना :शून्य की ध्वनि
कोरोना :शून्य की ध्वनि
Mahendra singh kiroula
प्रथम किरण नव वर्ष की।
प्रथम किरण नव वर्ष की।
Vedha Singh
रमेशराज के साम्प्रदायिक सद्भाव के गीत
रमेशराज के साम्प्रदायिक सद्भाव के गीत
कवि रमेशराज
जिंदगी की राहों पे अकेले भी चलना होगा
जिंदगी की राहों पे अकेले भी चलना होगा
VINOD CHAUHAN
कोहरे के दिन
कोहरे के दिन
Ghanshyam Poddar
सिर्फ व्यवहारिक तौर पर निभाये गए
सिर्फ व्यवहारिक तौर पर निभाये गए
Ragini Kumari
जो ना कहता है
जो ना कहता है
Otteri Selvakumar
सफलता
सफलता
Vandna Thakur
अगर आप
अगर आप
Dr fauzia Naseem shad
शिमला, मनाली, न नैनीताल देता है
शिमला, मनाली, न नैनीताल देता है
Anil Mishra Prahari
जीवन में प्राकृतिक ही  जिंदगी हैं।
जीवन में प्राकृतिक ही जिंदगी हैं।
Neeraj Agarwal
फितरत सियासत की
फितरत सियासत की
लक्ष्मी सिंह
Mystical Love
Mystical Love
Sidhartha Mishra
!! पत्थर नहीं हूँ मैं !!
!! पत्थर नहीं हूँ मैं !!
Chunnu Lal Gupta
इतना कभी ना खींचिए कि
इतना कभी ना खींचिए कि
Paras Nath Jha
नज़र को नज़रिए की तलाश होती है,
नज़र को नज़रिए की तलाश होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...