अधूरी तमन्ना (कविता)
अधूरी तमन्ना
मैंने तो तमन्ना की थी सिर्फ उसकी दोस्ती की
मगर मुझे तन्हाई के सिवा कुछ ना मिला मैं वो साज हूं
जिसे प्यार कभी मिला नहीं
चाहत की डोर से
मेरे कोई बंधा नहीं
एक अनजान राहों का मुसाफिर हूं
जिसे मंजिल कोई मिली नहीं
जख्म खाए है हर बार सीने में
कोई बाहर मेरे लिए बनी नहीं
मैंने तो तमन्ना की थी सिर्फ दोस्ती की मगर मुझे तन्हाई के सिवा कुछ मिला नहीं ना मिला मुझे कभी ममता का सहारा
ना मिला मुझे कोई आंचल दुलारा
हर पथ रहा पथरीला मेरा
एक फूल राहों में खिला नहीं
मैंने तो तमन्ना की थी सिर्फ उसकी दोस्ती की मगर मुझे तन्हाई के सिवा कुछ मिला नहीं
बदल गए यार मेरे
नजरे इनायत किसी और के लिए
की राहों से ज़ुदा यार की हो गई
मेरी नजरों ने तमन्ना की
सिर्फ यार के नजरों की
मैंने तो तमन्ना की थी सिर्फ दोस्ती की मगर मुझे तन्हाई के सिवा कुछ ना मिला मांगी थी दोस्ती उससे
मगर मुझे सिसकते अरमान मिले
चाहा था पल का सुकून
मगर मुझे सैलाब तूफान के मिले
डूबते दिल की तमन्ना की थी किनारे की मगर मुझे तो छुट हुए सहारे मिले
मैंने तो तमन्ना की थी सिर्फ तेरी दोस्ती क मगर मुझे तेरी जुदाई के नजारे मिले