अद्वितीय प्रकृति
उन्माद ,उन्मुक्त विमुक्त चिर परिचित -तुम मदमाती बाला
हरित ,पल्लवित ,पुष्पित ,रंगीन सुरा -समान मधुमति हाला I
नूरानी ,सुहानी ,मन- भावनी , मन-मोहिनी,लुभावनी-दैविक छटा
उमड़ती, घुमड़ती, चमकती, दमकती अठखेलियां करती अनुपम घटा I
कभी चंचल ;कभी गंभीर ;कभी शांत;कभी अधीर ;कभी रिपु, कभी संरक्षक –
अनंत,युग -पर्यंत अनादि-तेरा वेश-परिवेश मनमौजी -कभी रक्षक,कभी भक्षकI
हे प्रकृति- तेरा स्वरूप ;तेरी भव्य माया;तेरा मदमाता संगीत,तेरी निश्छल काया
हर ध्वनि उच्चरित , हर स्वप्न मुखरित-गोद में तेरे हरित अंचल का साया !!