अतीत याद आता है
अचानक हवा का कोई झोंका
मेरे सामने से गुजर जाता है
मुझे मेरी स्मृति को अपने साथ लेकर
मेरे अतीत तक की सैर कराता है
वह चेहरा जो अब स्मृति बन गया है
खुशी की लहर मन मस्तिष्क पर
मासूम इतना जैसे पुष्प नजर आता है
हंसता खेलता सदैव उत्साह से भरपूर
जैसे निर्झर कल कल झरता जाता है |
फिर बही झोंका हवा का
मुझे वर्तमान में ले आता है
चीखता चिल्लाता अपने स्वर में
मुझे बस कहता ही जाता है
अनंत देखो स्वयं में परिवर्तन
क्या तुम्हें अपना अतीत याद आता है
बस इतना कहकर वह झोका हवा का
मुझसे न जाने क्या क्या कह जाता है |