“अज़ब दुनिया”
“अज़ब दुनिया”
जहाँ पर निराशा नहीं
जिन्दा रहती आश,
भरोसे की मुस्कान से ही
जीता है विश्वास।
मगर यह अज़ब दुनिया है
बस प्रेम ढूँढ़ती है,
नफ़रत की गैरहाजिरी को
प्रेम नहीं कहती है।
“अज़ब दुनिया”
जहाँ पर निराशा नहीं
जिन्दा रहती आश,
भरोसे की मुस्कान से ही
जीता है विश्वास।
मगर यह अज़ब दुनिया है
बस प्रेम ढूँढ़ती है,
नफ़रत की गैरहाजिरी को
प्रेम नहीं कहती है।