अजन्मी बेटी का दर्द !
सुना है माँ तेरे चरणों में,
झुक जाता है आसमान!
तेरे चरणों तले होती है माँ,
जन्नत और भगवान!
सुना है तेरी ममता की छाया में,
बच्चों को नही छूता है शैतान!
सुना है माँ तो ऐसी होती है,
जिसको अपने बच्चे की
खामोशी का भी होता है ज्ञान!
मेरी माँ बताओ मुझे ,
तुम मेरी खामोशी को
क्यों नही सुन पाई!
मेरी जीने की इच्छा को तुम,
क्यों नही पूरी कर पाई!
क्यों नहीं तुम अपने कोख में,
मुझे जगह दिला पाई!
क्यो नही मेरे हक के ख़ातिर,
दुनियाँ से तुम लड़ पाई!
ऐसे में दुनियां जो कहती है,
कैसे मैं उस बात को मान लूं!
तेरे चरणों में जन्नत है माँ,
कैसे में यह बात मान लूं!
तुम ईश्वर का रूप है माँ
कैसे मैं यह बात मान लूं!
तुम सबसे अच्छी है माँ
कैसे में यह बात मान लूं!
कैसे कहूं मैं माँ तुमको,
तुम दुनियाँ में सबसे सच्ची हो!
बेटा-बेटी में फर्क न समझे
तुम वह पावन धरती हो!
तुम सबसे सच्ची है माँ,
कैसे मै यह बात मान लूं!
तुम ही बताओं मुझे माँ,
कैसे तुम्हें माँ का रूप मान लूं!
अनामिका