अगर तू नही है जीवन में ये अधखिला रह जाएगा
अगर तू नही है जीवन में ये अधखिला रह जायेगा,
पर दूर तक तन्हाइयों का ये,सिलसिला रह जायेगा।
सुबह भी होगी,शाम भी होगी रोजाना की तरह,
पर ये तेरा फूल,हमेशा ही अधखिला रह जायेगा।
लहरे भी उठेगी समंदर में,ज्वार भाटा भी आयेगा,
पर जिंदगी में आकर,ये जलजला ही रह जायेगा।
चांद निकलेगा आसमां में बिजली भी चमकेगी,
पर बादल का आसमां में सिलसिला रह जायेगा।
इन्कार और इकरार में मिलन होगा अब कैसे ?
अगर मिलन हो भी गया तो फासला रह जायेगा।
रस्तोगी सोचता रहा,ये तन्हाई अब दूर करे कैसे ?
समाधान बहुत से है फिर भी मसला रह जायेगा।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम