उठाये जो तूने जख्म पहले उन्हें अब मात देना चाहता हूं,
उठाये जो तूने जख्म पहले उन्हें अब मात देना चाहता हूं,
मां,मैं तेरे चेहरे पर अब मुस्कुराहट देखना चाहता हूं।।
अब घर की हर एक बात वो मुझसे छुपाने लगी है,
शायद मैं घर से दूर हूं मुझे यह जतलाने लगी है,
और अब उसके हर एक समस्या का समाधान बनकर उभरना चाहता हूं,
मां मैं तेरे चेहरे पर अब मुस्कुराहट देखना चाहता हूं।।
फोन पर उदास तो रहती है मगर मुझसे कुछ कहती नहीं है,
मैं अपना जीवन अच्छे से व्यतीत कर सकूं इसलिए स्वयं अभावों में जीवन जीने लगी है,
कि अब उसके अभाव भरे जीवन को भावों में बदलना चाहता हूं,
मां मैं तेरे चेहरे पर अब मुस्कुराहट देखना चाहता हूं।।
— अमन थपलियाल।