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28 May 2024 · 1 min read

दर्शन

दर्शन (शुभांगी छंद )

सुख का कारण,शुद्ध आचरण,उर विस्तारण,मन पावन।
निर्मल तन धन,विमल हृदय ज़न,प्रीति सघन वन,शुभ भावन।।

परहित चिंतन,अपना मन्थन,ज़न हरि कीर्तन,अति प्यारा।
सेवक मनास,खुद ही पारस, मधुर सुवासित,शिव तारा।।

ज़न सहयोगी,हृदय वियोगी,सहज निरोगी,प्रिय दर्शन।
मानवता ही,शिव समता ही,नैतिकता ही,सत वन्दन।।

साहित्यरत्न डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी

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