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19 Dec 2020 · 1 min read

अक्सर मासूम दिल, शिकार बना लेते हैं

दिल के फ्रेम में, चाहे जो तसबीर लगा लेते हैं
हर वक्त एक नया दिल,दिल में लगा लेते हैं
सरेराह घूमते हैं शैतान, इंसानियत के चेहरे में
शराफत के नक़ाब में, पहचान छुपा लेते हैं
छुपा लेते हैं शख्शियत अपनी
जाति मज़हब मन चाहा बना लेते हैं
सबको कहते हैं, दिलों जान हो तुम
बारी बारी से, वो सबको दगा देते हैं
आशिक दिल फेंक, लव जिहादी हैं
जंग और मुहब्बत में सब, जायज़ बता देते हैं
कैंसे बचोगे?जिस्म के भेड़ियों से सुरेश
अक्सर मासूम दिल, शिकार बना लेते हैं

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
10 Likes · 4 Comments · 257 Views
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