Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Nov 2021 · 1 min read

अंतर्बोध

——————————————————
मैं और तुम
रात और दिन की विपरितताओं की तरह
मिले,दुकान पर
फूलों की दुकान पर।

तुम्हें चाहिए था जयमाल।
तुम्हारे दोस्त के लिए।
वह विजयी था।
मुझे चाहिए था श्रद्धा-सुमन।
मेरे दोस्त के लिए।
वह पराजित हो गया था
जीवन से।
तुम डरे।
सिकोड़कर भौंहें देखा मुझे।
वहाँ शंका थी, संशय और भय।

मैं हर्षित हुआ
विजय भी होता है
सिर्फ पराजय ही नहीं होती।
पूरी दृष्टि खोलकर निहारा तुम्हें।
मेरे मन में
आशा का अव्यक्त हर्ष था।
मारे हुए जी उठाते है
कथाओं में था।

हमारे एक दूसरे को
संशय और संभावना पूर्वक देखने से
कुछ हुआ नहीं।
तुम्हारा दोस्त हारा नहीं।
मेरा दोस्त जिया नहीं।

सिर्फ
हमारे अंतर्बोध में गहरा संबंध निकला।
तुम्हारा हार का और मेरा जीवन का बोध।
मैं और तुम मिले
दुकान पर
फूलों की दुकान पर।
——–2/11/21———————————

Language: Hindi
1 Comment · 371 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2615.पूर्णिका
2615.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हर प्रेम कहानी का यही अंत होता है,
हर प्रेम कहानी का यही अंत होता है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
रावण था विद्वान् अगर तो समझो उसकी  सीख रही।
रावण था विद्वान् अगर तो समझो उसकी सीख रही।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
*** मैं प्यासा हूँ ***
*** मैं प्यासा हूँ ***
Chunnu Lal Gupta
*नयनों में तुम बस गए, रामलला अभिराम (गीत)*
*नयनों में तुम बस गए, रामलला अभिराम (गीत)*
Ravi Prakash
एक मुलाकात अजनबी से
एक मुलाकात अजनबी से
Mahender Singh
सोने की चिड़िया
सोने की चिड़िया
Bodhisatva kastooriya
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
कवि रमेशराज
* तुगलकी फरमान*
* तुगलकी फरमान*
Dushyant Kumar
कोई काम हो तो बताना,पर जरूरत पर बहाना
कोई काम हो तो बताना,पर जरूरत पर बहाना
पूर्वार्थ
किताब
किताब
Sûrëkhâ Rãthí
कौन सोचता....
कौन सोचता....
डॉ.सीमा अग्रवाल
*
*"ममता"* पार्ट-3
Radhakishan R. Mundhra
बींसवीं गाँठ
बींसवीं गाँठ
Shashi Dhar Kumar
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
औरत अश्क की झीलों से हरी रहती है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
दोहा त्रयी. . . . शीत
दोहा त्रयी. . . . शीत
sushil sarna
अमिट सत्य
अमिट सत्य
विजय कुमार अग्रवाल
शब्द
शब्द
Sangeeta Beniwal
शब्दों की रखवाली है
शब्दों की रखवाली है
Suryakant Dwivedi
जिंदगी का मुसाफ़िर
जिंदगी का मुसाफ़िर
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
बचपन
बचपन
लक्ष्मी सिंह
💫समय की वेदना💫
💫समय की वेदना💫
SPK Sachin Lodhi
I love to vanish like that shooting star.
I love to vanish like that shooting star.
Manisha Manjari
माँ
माँ
Anju
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
इंसानियत का एहसास
इंसानियत का एहसास
Dr fauzia Naseem shad
गले लगाना पड़ता है
गले लगाना पड़ता है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
जो तेरे दिल पर लिखा है एक पल में बता सकती हूं ।
जो तेरे दिल पर लिखा है एक पल में बता सकती हूं ।
Phool gufran
रख हौसला, कर फैसला, दृढ़ निश्चय के साथ
रख हौसला, कर फैसला, दृढ़ निश्चय के साथ
Krishna Manshi
***** सिंदूरी - किरदार ****
***** सिंदूरी - किरदार ****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...