* शुभ परिवर्तन *
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** नवगीत **
पर्व यही शुभ परिवर्तन का
सबके मन को भाता खूब
मकर संक्रांति पर्व आ गया
सबके मन को खूब भा गया
जागी मन में नयी उमंगें
रंग बिरंगी उड़ी पतंगें
धुंध हटेगी सभी जगह से
हरी भरी फिर होगी दूब
नयी फसल पकने का मौसम
ठिठुरन भी होती जाती कम
सूर्य उत्तरायण में आता
जीव जगत सारा हर्षाता
खिल खिल जाते हृदय सभी के
मिट जाती है सारी ऊब
दान पुण्य तीर्थों के दर्शन
और नित्य स्नान प्रभु अर्चन
सबके हित की करें कामना
हर्षित मन में यही भावना
शुभ स्मरण पूर्वजों का करते
भक्ति भाव में जाते डूब
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– सुरेन्द्रपाल वैद्य