शुभह उठता रात में सोता था, कम कमाता चेन से रहता था
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शुभह उठता रात में सोता था, कम कमाता चेन से रहता था
पीछे का ना पस्तावा था, नाही आगे की कोई हमें चिन्तन था
सुख चैन से रहता था, ना तो कोई सपना नाहीं कोई लपडा था
सीधा सादा व्यक्ति हूँ, रोज कमाता आरम का जीवन जीता था
आम आदमी ऐसा में छला गया, अपना घर अपना सपना कहा गया
आम आदमी आम जैसा हो गया,बाहर से पिला अन्दर गिला हो गया
आवास योजना के अन्दर मुझे, आम कि तरह ही खूब चूसा गया
राजनिति मे वोटो के चकर् , हम को अब गुटली जैसे फेका गया
गरीब का सपना घर हो अपना, हमे ऐसा सपना दिखा दिया
गरीब को घर देना था, हमको तो इस घर ने गरीब बना दिया
पैसे देकर भी ना अपना घर मिला, पैसों का नोटिस ओर थमा दिया
भ्रष्टाचारी का पता नहीं, किसी बने बनाऐ घर को कैसे बड़ा दिया
अनिल चोबिसा
9829246588