शातिर हवा के ठिकाने बहुत!
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/7cd9e166e2322a1a79cfa131dfe9c1ff_ef31e043abf63a1717b754b9e4de0f42_600.jpg)
है शातिर हवा के ठिकाने बहुत!
है मेरे नशेमन में नशे के मुहाने बहुत!!
सर्द हवाओं के झोंके लगते है तीरे नश्तर!
इसलिये हैं पीने-पिलाने के बहाने बहुत!!
गरीबो को मयस्सर नहीं है ,चादर-रजाई!
और रइसो के वास्ते है मयखाने बहुत!!
बोधिसत्व कस्तूरीया एडवोकेट कवि पत्रकार सिकंदरा आगरा 282007 मो;9412443094