“वो पिता मेरे, मै बेटी उनकी”
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वो पिता मेरे, मै बेटी उनकी, जिन्होंने दी मुझे नई पहचान।
उम्मीद का सहारा,नदी का किनारा,
होसलो की ऊची उड़ान, माथे से टपकता पसीना जिन की पहचान।
वो पिता मेरे, मै बेटी उनकी, जिन्होंने दी मुझे नई पहचान।
मैं गुड़िया उनकी,वो मेरी जान।
भूल सब दुनिया के ताने,सिर्फ वो मुझको ही जाने।
बचा सब की नजरों से,शिक्षा का मुझे दिया सम्मान।
वो पिता मेरे, मै बेटी उनकी, जिन्होंने दी मुझे नई पहचान।
मुझको भी देते, बेटों सा मान।
आत्मनिर्भर मुझे बनाया ,किया मुझपे एहसान।
टीचर मुझे बना ,दिया मेरे सपनो में जान।
वो पिता मेरे, मै बेटी उनकी, जिन्होंने दी मुझे नई पहचान।
नाम रीतू सिंह