विकृत संस्कार पनपती बीज
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विकृत संस्कार पनपती बीज
विकसित पाति बबूल की गाछ़ी
पर्ण नुकीले कष्टों की डाली
कर्म पथ भर देता कांटों
ऐसी अज्ञान भरी शिक्षा का
काल खण्ड दुःख सागर बनता
ऐसे को प्रतिपत कहते जग जन
बोये बीज बबूलआम कहां से होय ।
टी.पी तरुण
विकृत संस्कार पनपती बीज
विकसित पाति बबूल की गाछ़ी
पर्ण नुकीले कष्टों की डाली
कर्म पथ भर देता कांटों
ऐसी अज्ञान भरी शिक्षा का
काल खण्ड दुःख सागर बनता
ऐसे को प्रतिपत कहते जग जन
बोये बीज बबूलआम कहां से होय ।
टी.पी तरुण