“मदहोश”
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“मदहोश”
देखो तो जानो मयखाने में रक्खा ही क्या है,
कमबख्त नशे में मदहोश सा कर देती आँखें।
क्या- क्या नाम दूँ ‘किशन’ इन बेदर्द आँखों को,
कभी झील, कँवल कभी मय सी लगती आँखें।
“मदहोश”
देखो तो जानो मयखाने में रक्खा ही क्या है,
कमबख्त नशे में मदहोश सा कर देती आँखें।
क्या- क्या नाम दूँ ‘किशन’ इन बेदर्द आँखों को,
कभी झील, कँवल कभी मय सी लगती आँखें।